मानसरोवर--मुंशी प्रेमचंद जी

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स्‍वामिनी मुंशी प्रेम चंद 1 शिवदास ने भंडारे की कुंजी अपनी बहू रामप्यारी के सामने फेंककर अपनी बूढ़ी आँखों में आँसू भरकर कहा- बहू, आज से गिरस्ती की देखभाल तुम्हारे ऊपर ...

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